युवाओं के लिए ईएलएसएस हो सकता है निवेश का अच्छा विकल्प

 मिलेनियल्स (युवा) भारतीय आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये हमारी वर्कफोर्स का करीब आधा हिस्सा है। उदारीकरण के बाद के दौर में पले-बढ़े मिलेनियल्स लाइफस्टाइल और खर्च की आदतों के कारण पहले की पीढ़ियों से अलग हैं। रजिस्ट्रार्स एंड ट्रांसफर एजेंट्स के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 में नए निवेशकों में से 47% मिलेनियल्स थे। टैक्स सेविंग मिलेनियल्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक होता है।



इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम इस मकसद के लिए सबसे अच्छे निवेश विकल्पों में से एक हो सकता है। ज्यादातर मिलेनियल्स करियर के शुरुआती चरण में होते हैं। वे आयकर की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख तक का निवेश कर 456,800 रुपए तक की टैक्स सेविंग कर सकते हैं। 80सी योजनाओं के तहत निवेश की राशि कंपाउंडिंग की ताकत की बदौलत कई सालों में बड़ी रकम का रूप ले सकती है। मिलेनियल्स 23 से 38 साल के आयुवर्ग के लोग होते हैं। इनमें से ज्यादातर के सामने 25 से 35 साल का प्रोफेशनल करियर शेष होता है। उनके पास ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता होती है और ऐसे में इक्विटी उनके लिए आदर्श एसेट क्लास साबित होता है।



फाइनेंशियल प्लानर मिलेनियल्स को सुझाव देते हैं वे अपने एसेट का 60-75% हिस्सा इक्विटी में लगाएं। वैसे तो इक्विटी शॉर्ट टर्म में वोलाटाइल विकल्प है लेकिन, लॉन्ग टर्म में यह बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखता है। उदाहरण के तौर पर एसएंडपी बीएसई टीआरआई इंडेक्स ने 1979 में शुरुआत से अब तक 15.3% का सालाना रिटर्न दिया है। इसने अन्य एसेट क्लास को पीछे छोड़ा है। ईएलएसएस मूलतः इक्विटी म्यूचुअल फंड होते हैं और ये 80सी के तहत पात्रता रखते हैं। इसमें तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है।



पिछले 10 साल में 11.5% का सीएजीआर रिटर्न मिला
10 साल में (21 नवंबर 2019 तक) ईएलएसएस ने औसतन 11.5% का सीएजीआर रिटर्न दिया है। ईएलएसएस में 1 लाख से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10% की दर से टैक्स लगता है। इससे मिलने वाला डिविडेंट टैक्स फ्री होता है। म्यूचुअल फंड में इसके लिए भी 10% टैक्स देना होता है।