मनोज ने आगे कहा, मैं अभी तक जनरल में हिस्सा लेता रहा हूं। अभी मुझे पता चला है कि पैरा एथलेटिक्स में हिस्सा ले सकता हूं। आगे मैं पैरा में रजिस्ट्रेशन कराऊंगा और उसके लिए कड़ी मेहनत करूंगा। बूंदी खेलमंत्री अशोक चांदना का जिला है। इतने बड़े स्टेट खेल का आयोजन भी उनकी देखरेख में ही हो रहा है। लेकिन उनके अपने जिले में ठीक से एक एथलेटिक ट्रैक नहीं। इन एथलीटों के साथ राष्ट्रीय स्तर का एक एथलीट भी आया है। इसका नाम है बलबीर। बलबीर ने कहा, ‘खिलाड़ियों के लिए बूुंदी में कोई अच्छा एथलेटिक ट्रैक नहीं है। खेल संकुल में जो ट्रैक है, उसमें लोग घूमते रहते हैं। हम प्रैक्टिस करते हैं तो लोग कहते हैं तुम्हारे बाप का है क्या ट्रैक और हमें ठीक से प्रैक्टिस नहीं करने देते। इस बारे में हमने खेलमंत्री अशोक चांदना से भी शिकायत की थी।’
स्पोर्ट्स रिपोर्टर | जयपुर
बूंदी जिले से एथलीटों की एक रिले टीम भी स्टेट गेम्स में हिस्सा लेने आई है। 4 गुणा 100 मीटर रिले में इस टीम के एक खिलाड़ी को देखकर थोड़ा ताज्जुब हुआ। बेटन लेकर जब वह आगे रेस लगा रहा था तो नजर पड़ी की उसके बाएं हाथ का पंजा ही नहीं है। जनरल कैटेगरी में दिव्यांग मनोज मीणा भी हिस्सा ले रहा था। इस बारे में साथी खिलाड़ियों शिवरेस गुर्जर, मोहित जाट, हनुमान मीणा से पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मनोज हमारे साथ ही बूंदी में प्रैक्टिस करता है। हमें चार की टीम बनानी थी। जो भी लड़के साथ में प्रैक्टिस करते हैं उनमें मनोज का टाइमिंग बेस्ट था। हमारी चौकड़ी बूंदी में हुए ट्रायल में फर्स्ट रही थी।’
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